नेचुरल प्री - बायोटिक्स वाले फूड | food of natural pre-biotics in Hindi.
![]() |
Pre-biotics food |
Healthy food में यहां हम जानेंगे कि नेचुरल डाइट के सोर्स क्या होते हैं ? प्रीबायोटिक असल में प्लांट बेस्ड फाइबर होते हैं जो शरीर में फर्टिलाइजर की तरह काम करते हैं जिससे आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया पनपता है । अगर पेट सही होगा तो बीमारियां भी कम होंगी ये तो सही है । मनुष्य का जब तक पेट साफ, स्वस्थ्य और निरोग है तब तक व्यक्ति स्वस्थ होता है जैसे ही पेट में गड़बड़ियां पैदा होगी शरीर का संतुलन और स्वास्थ्य बिगड़ने लगेगा । भारत में अगर सबसे ज्यादा किसी बीमारी से लोग परेशान रहते हैं तो वो है पेट की बीमारी। क्योंकि हमारी हेल्थ और डाइट की आदतें सही नहीं होती हैं और इसके कारण सेहत भी खराब रहती है । शरीर की 90% बीमारियां पेट से ही पैदा होती है । इसलिए पेट को साफ और स्वस्थ रखना बहुत ही जरूरी है ।
ऐसे में यदि पेट को स्वस्थ रखने में प्रीबायोटिक्स को अगर मील में किसी प्रकार से शामिल किया जाए तो शरीर धीरे-धीरे हेल्दी होगा । यहां हम कई बार अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करने की जगह हम सप्लीमेंट्स खाना पसंद करते हैं । शायद ये सही नहीं है फिजीशियन के हिसाब से यदि यह जरूरी नहीं है तो आप यहां डाइट को नेचुरल तरीके से ही लें तो बेहतर होगा । क्योंकि ये जरूरी है कि शरीर में हेल्दी माइक्रो ऑर्गेनिज्म बनें जिससे डाइजेशन सही रहे । प्रीबायोटिक शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं और ये आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया की ग्रोथ कर पाचन तंत्र को सही रखते हैं ।
किंतु यहां आपको ये ध्यान रखना होगा कि हर किसी का शरीर अलग होता है और शरीर में किस चीज की कमी है उसके आधार पर ही डाइट निश्चित करनी चाहिए । अगर आपको अपनी डाइट को ठीक करना है तो पहले किसी एक्सपर्ट से बात करें और उसके बाद ही अपनी डाइट की शुरुआत करें या डाइट में बदलाव करें । क्योंकि यहां यह भी ध्यान रखें कि आपकी डाइट में रेगुलर प्रीबायोटिक्स फायदा ही पहुंचाएंगे , लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप बिना अपनी हेल्थ कंडीशन देखे जाने बिना कुछ भी डाइट में शामिल कर लें ।
1. फाइबर की कमी से होने वाली बीमारी और लक्षण | Symptoms and signs of fiber deficiency :
शरीर में फाइबर की संतुलित मात्रा बराबर न होने से शरीर का अक्सर पाचन तंत्र खराब होने लगता है इससे शरीर में नई तरह की बीमारियां धीरे-धीरे उत्पन्न होने लगती है जैसे गैस , एसिडिटी , कब्ज आदि । डाइट में फाइबर की कमी कब्ज का कारण बनती है । कब्ज होने पर व्यक्ति को मलत्याग करने में परेशानी, गैस, एसिडिटी होने लगती है । कई दिनों तक कब्ज की प्रॉब्लम बनी रहे, तो ऐसे में पाइल्स आदि की समस्याएं भी हो सकती है । तथा शरीर में फाइबर की कमी होने पर शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है । डायबिटीज के मरीजों में वजन बढ़ने की सबसे मुख्य वजह डाइट में फाइबर की कमी भी हो सकती है । फाइबर की कमी से पेट ही नहीं अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी खड़ी कर सकती है। फाइबर एक तरह का कार्बोहाइ ही होता है जो पेट में आसानी से नहीं पचता है । ये कार्ब्स छोटे-छोटे कणों में टूट कर शुगर के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं । और यही आगे चलकर गंभीर बीमारियो में तब्दील होकर कई अन्य बीमारियों का रूप धारण कर लेती है । और जीवन की चुनौतियां बनकर सामने आ जाती है ।
2. Source of natural diet and prebiotics | प्राकृतिक आहार और प्रीबायोटिक्स का स्रोत :
शरीर को हेल्दी रखने के लिए हमें प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स के अलावा फाइबर की जरूरत भी होती है । फाइबर कोलस्ट्रॉल और ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है । साथ ही यह भोजन को पाचन प्रणाली से निकलने में मदद करने के साथ-साथ जरूरी मात्रा में मल निकाल कर शरीर को स्वस्थ्य बनाता है । आइए हम यहां जानेंगे कि कुछ स्रोत और इसके प्रकार के बारे में ।
![]() |
Pre-biotics food |
★ फ्रुक्टो-ऑलिगोसाचाटाइड्स :
इसे हरा केला, टमाटर, गन्ने, गेहूं और बाजरे ज्वार आदि जैसे खाद्य पदार्थों में पर्याप्त मात्रा में पाया जा सकता है । ऐसे अनेकों तरह से आप खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं ।
★ गेलेक्टो-ऑलिगोसाचाटाइड्स :
गेलेक्टो-ऑलिगोसाचाटाइड्स की पर्याप्त मात्रा कुछ ऐसे पदार्थों में पाई जाती है शm m जैसे - राजमा , दाल , चना , लीमा बीन्स , गाय का दूध और ब्रेस्ट मिल्क में काफी मात्रा में मौजूद होता है ।
★ रेसिस्टेंट स्टार्च :
रेसिस्टेंट स्टार्स को पाने के लिए इसे नियमित रूप से आप विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं । इसमें हरा केला, कमल के बीज, बाजरा, चावल, आलू, सफेद बीन्स, मटर, दाल और लेगुम्स जैसे पदार्थों में प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है ।
★ इंसुलिन :
इंसुलिन पाने के लिए यहां आप पके हुए केले, प्याज, गेहूं, लहसुन और चिकोरी की जड़ में इंसुलिन भरपूर मात्रा में होता है । और इसको आप विभिन्न तरीके से खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं ।
★ बीटा ग्लू :
इसमें बाजरा, ओट्स और खाने वाले मशरूम शामिल होते हैं । ये चीजें बीटा ग्लूकेन से भरपूर हैं । इसे भी आप नियमित रूप से खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं ।
★ गेलेक्टोमानेन :
इसे आप गवार फली और मेथी के बीज से पा सकते हैं । ये प्रीबायोटिक इनमें भरपूर मात्रा में होता है । इन चीजों को भी आप समय-समय पर उपलब्धता के हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं । मेथी दाना बाजार में सस्ते दर पर मिल जाती है ।
Read more : स्वस्थ जीवन के लिए प्राकृतिक तरीके से कैसे जिये | How to live a natural way for a healthy life in Hindi
★ ट्री गम एक्सडेट्स :
ये गोंद में होता है और गोंद के लड्डू आदि खाने से ये मिल सकता है । यह भी बाजार में हमेशा उपलब्ध होता है ।
★ पेक्टिन्स :
इसे आप फलो जैसे - सेब, अनानास, अमरूद, प्लमस और आंवला आदि में प्रचुर मात्रा में पा सकते है । इन फलों में विटामिन-सी भी प्रचूर मात्रा में शामिल होता है जिसे आप अपने नियमित डाइट में शामिल कर सकते हैं ।।
★★★★★★★★★